परानी संसद का नाम बदलकर किया संविधान संदन, नए कानून के लिए नए पथ पर चली मोदी सरकार
खबर इंडिया डेस्क.भोपाल। नए संसद भवन में जाने के पहले पुरानी संसद के सेंट्रल हॉल में मंगलवार को विदाई कार्यक्रम रखा गया। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये भवन ये सेंट्रल हॉल एक प्रकार से हमारी भावनाओं से भरा हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत विश्व का नेतृत्व कर रहा है। हम भारत की पुरानी संसद की परंपरा को बरकरार रखेंगे। हमारे संविधान ने 1947 में अंग्रेजी हुकुमत ने सत्ता हंस्तांतरण किया है। उसका साक्षी हमारा सेंट्रल हॉल हैं। इसी हॉल में भारत के तिरंगे को अपनाया गया। हमारे राष्ट्रगान को अपना गया और एतिहासिक अवसरों पर दोनों सदनों ने मिलकर भारत के भाग्य को बनाने के निर्णय किया। 1952 में दुनिया के 41 देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने इस सेंट्रल हॉल में सांसदों को संबाधित किया। हमारे राष्ट्रपति महोदय 86 बार संबोधन किया गया। बीते सात दशकों में जो भी साथी इन जिम्मेवारियों से गुजरें हैं। अनेक-कानूनों और संशोधनों का हिस्सा रहे हैं। 4 हजार से ज्यादा बिल अब तक लोकसभा-राज्यसभा से पास किए गए हैं। कभी ज्वॉइंट सेशन से भी कानून पारित करने में रणनीति बनाकर दहेज रोकथाम, बैंकिंग सर्विंस कमिशन, अतंक से लडऩे जैसे कानून संयुक्त सत्रों में पास किए गए। जम्मू कश्मीर में हमने 370 हटाकर इतिहास रचा है।
मोदी ने कहा कि इसी संसद में मुस्लिम बहन बेटियों को न्याय की जो प्रतीक्षा थी, शाहबानों केस के कारण गाड़ी कुछ उलटी चल पड़ी थी। इसी सदन ने हमारी उस गलती को ठीक किया। मैंने लालकिले से कहा था- यही समय है, सही समय है। एक बाद एक घटनाओं पर हम नजर करेंगे तो आज भारत एक नई चेतना के साथ पूर्नजागृत हो चुका है। भारत नई ऊर्जा से भर चुका है। यह चेतना यही ऊर्जा इस देश के करोड़ों लोगों संकल्प से सिद्धि की ओर चल सकती है। इच्छित परिणाम प्राप्त होंगे। हम गति जितनी तेज करेंगे परिणाम उतने तेज मिलेंगे।
यह भावी पीढ़ी को तोहफा देने का समय
प्रधामंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि इस भवन को सिर्फ पुरानी पार्लियामेंट कहकर छोड़ दें तो ऐसा नहीं होना चाहिए. इसलिए मेरी आपसे प्रार्थना है कि भविष्य में अगर सभी की सहमति हो तो इसे संविधान सदन के रूप में जाना जाए. ताकी यह हमेशा हमारे जीन की प्रेरणा बनी रहे। जब हम इसे संविधान सदन पुकारेंगे तो यह उन महापुरुषों की भी याद दिलाएगी, जो कभी संविधान सभा में बैठा करते थे। भावी पीढ़ी को यह तौहफा देने का अवसर जाने नहीं देना चाहिए।
आम चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाना चाहिए
पीएम मोदी ने कहा, महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी या एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव है। विधेयक में 33 फीसदी कोटा के भीतर एससी, एसटी और एंग्लो-इंडियन के लिए उप-आरक्षण का भी प्रस्ताव है। विधेयक में प्रस्तावित है कि प्रत्येक आम चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाना चाहिए।
हजारों की संख्या में नए भवने के सामने पहुंची महिलाएं
संसद भवन की नई बिल्डिंग में पेश होने वाले पहले महिला आरक्षण बिल के समर्थन में नए भवन के सामने पहुंचे। उत्साह के साथ पहुंची महिलाओं ने कहा कि 1996 में यह बिल देवेगोड़ा के समय इस बिल पर चर्चा हुई थी। जिसके बाद 1998 में अटलबिहारी वाजपेयी की सरकार में इस बिल पर चर्चा हुई। लेकिन 27 साल बाद आज वो एतिहासिक दिन आया है जब नए संसद भवन में यह बिल पास हो रहा है।
कांस्टीट्यूशन की कॉपी लेकर नए संसद भवन पहुंचे मोदी
पुराने संसद भवन का नाम बदलकर अब संविधान सदन कर दिया है। इस सदन से कांस्टीट्यूशन की कॉपी लेकर नए संसद भवन के पीएम मोदी निकले। उनके साथ भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े, राहुल गांधी, अधीर रंजन चौधरी, एनसीपी के शरद पवार सहित सभी सांसद पहंचे। नया संसद भवन पूरी तरह से हाईटेक है, इसमें स्टाफ के प्रवेश के लिए उनका चेहरा ही उनका पहचान पत्र होगा। सांसदों को नए भवन में प्रवेश के लिए बायोमैट्रिक आधारित स्मार्ट कार्ड जारी किए गए हैं। संसद में भाषण किसी भी भाषा में दिया जा रहा हो, लेकिन सदस्य उसे अपनी भाषा में सुन सकेंगे। यह सुविधा संविधान की सूची में उपलब्ध सभी 22 भाषाओं के लिए उपलब्ध होगी। संसद पूरी तरह से पेपरलेस होगा, सभी सांसदों की टेबल पर एक टेबलेट कंप्यूटर है जिसमें हर मंत्री व सांसद के लिए उनसे जुड़ा हर दस्तावेज व जानकारी उपलब्ध होगी। यह दस्तावेज भी 22 भाषाओं में से सांसद की पसंद की भाषा में भी उपलब्ध होंगे। मंत्री रियल टाइम में अपने मंत्रालय के सचिव से कोई सूचना मांगकर संसद में पेश कर सकेंगे। सांसद की उपस्थिति और वोटिंग टेबलेट से होगी। सांसदों की उपस्थिति के लिए मैनुअल काउंटिंग अब बंद हो जाएगी।