खबर इंडिया डेस्क,भोपाल। भारत ने जिस तरह 5 नवंबर 2013 को मंगल गृ​ह पर मंगलयान भेजकर दुनिया में परमच लहराया था। ठीक उसी तरह आज का दिन भी विश्व के पटल पर सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। भारत ने चांद के साउथ पोल पर  चंद्रयान—3 भेजकर इतिहास रच दिया है। भविष्य में जो भी देश चंद्रमा के इस क्षेत्र में अपना यान भेजेंगे तो उस देश के वैज्ञानिक यहीं कहेंगे... चंद्रयान—3 CopyThat.
चंद्रयान—3 ने चांद की सतह पर सफल लैंडिंग कर ली है। यह सफलता हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन चुका है। 140 करोड़ लोगों की प्रार्थना और इसरो के साढ़े 16 हजार वैज्ञानिकों की चार साल की मेहनत रंग ले लाई। भारत अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग' करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है। 

प्रधानमंत्री ​मोदी बोले,,चंदा मामा टूर के 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोहानिसबर्ग से चंद्रयान 3 की सफल लेंडिंग पर इसरो के वैज्ञानिक और पूरे देश की जनता को धन्यवाद करते हुए अपनी खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि पुरानी कहावत थी, चंदा मामा दूर के। लेकिन आज हम अपने वैज्ञानिकों की बदौलत कह सकते हैं चंदा मामा अब सिर्फ एक टूर के। 
 
कैसे हुई चंद्रयान-3 की लैंडिंग? 

  • चंद्रयान-3 के आखिरी 19 मिनट सांसें रोक देने वाले रहे। लैंडिंग शुरू होते समय इसकी गति 6,048 किमी/घंटा थी लेकिन चांद को छूते समय यह 10 किमी/घंटे से भी कम हो गई। 
  • विक्रम लैंडर 25 किलोमीटर की ऊंचाई से चांद पर उतरने की यात्रा शुरू की। अगले स्टेज तक पहुंचने में उसे करीब 11.5 मिनट लगे. यानी 7.4 किलोमीटर की ऊंचाई तक।  
  • 7.4 km की ऊंचाई पर पहुंचने तक इसकी गति 358 मीटर प्रति सेकेंड थी। अगला पड़ाव 6.8 किलोमीटर था। 
  • 6.8 km की ऊंचाई पर गति कम करके 336 मीटर प्रति सेकेंड हो गई. अगला लेवल 800 मीटर था. 
  • 800 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर के सेंसर्स चांद की सतह पर लेजर किरणें डालकर लैंडिंग के लिए सही जगह खोजने लगे। 
  • 150 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की गति 60 मीटर प्रति सेकेंड थी। यानी 800 से 150 मीटर की ऊंचाई के बीच। 
  • 60 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की स्पीड 40 मीटर प्रति सेकेंड थी। यानी 150 से 60 मीटर की ऊंचाई के बीच. 
  • 10 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की स्पीड 10 मीटर प्रति सेकेंड थी। 
  • चंद्रमा की सतह पर उतरते समय यानी सॉफ्ट लैंडिंग के लिए लैंडर की स्पीड 1.68 मीटर प्रति सेकेंड थी। 
  • चांद पर उतरने के लिए स्थान का चुनाव ISRO कमांड सेंटर से नहीं हुआ बल्कि लैंडर ने ही अपने कंप्यूटर से इस जगह का चुनाव किया।