छत्तीसगढ़ में बढ़ा प्रोफेसरों का एजीपी, सूबे के प्रोफेसरों को बढऩे का इंतजार
खबर इंडिया डेस्क.भोपाल। छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रोफेसरों का (एकेडमिक ग्रेड पे) एजीपी बढ़ाकर 10 हजार कर दिया है। इससे अब वहां के कॉलेजों में प्रोफेसरों का प्राचार्य बनने का रास्ता साफ हो गया है। लेकिन मध्यप्रदेश के प्रोफेसरों को आज भी एजीपी बढऩे का इंतजार है। दो दिन पहले छत्तीसगढ़ सरकार के इस निर्णय से अब यहां भी एजीपी बढ़ाने को लेकर प्रोफेसर रणनीति बनाने में लग गए हैं। प्रोफेसरों के वॉट्सएप गु्रपों में छत्तीसगढ़ सरकार का आदेश तेजी से वायरल हो रहा है। साथ ही ग्रुप पर मध्यप्रदेश सरकार से छत्तीसगढ़ की तर्ज पर एजीपी बढ़ाने को लेकर संयुक्त रूप से बैठक बुलाने की तैयारी की चर्चा हो रही है।
मालूम हो कि महाराष्ट्र, राजस्थान के बाद छत्तीसगढ़ राज्य बन गया है जहां प्रोफेसर प्राचार्य बनने के साथ कुलपति पद के लिए आवेदन करने के योग्य हो गए हैं। विश्वविद्यालयों में कुलपति बनने के लिए प्रोफेसर का एजीपी 10 हजार होना जरूरी होता है। मध्यप्रदेश के अधिकांश सरकारी कॉलेज प्रभारी प्राचार्यों के भरोसे चल रहे हैं। हालात यह है कि प्रदेश भर में सिर्फ 5 फीसदी कॉलेजों में नियमित प्राचार्य हैं, शेष 95 फीसदी कॉलेज प्रभारी प्राचार्य के भरोसे संचालित हो रहे हैं। राजधानी भोपाल के सभी कॉलेज प्रभारी प्राचार्य के भरोसे चल रहे हैं। इसका असर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर पड़ रहा है। स्थिति से अच्छी तरह वाकिफ होने के बाद भी उच्च शिक्षा विभाग नियमित प्राचार्यों का इंतजाम नहीं कर रहा है।
2006 में दिए अपने आदेश को पलट दिया
प्रोफेसरों का एजीपी बढ़ाने को लेकर केंद्र सरकार ने 16 मार्च 2006 को सभी राज्यों को आदेश जारी किया था कि वे अपने प्रोफेसरों के 9 हजार के एजीपी को बढ़ाकर 10 हजार रुपए कर दें। इसके बाद मध्यप्रदेश सरकार ने इसे लागू करते हुए कुछ महीने तक प्रोफेसरों को ऐजीपी का लाभ तो दिया। लेकिन बाद में अपने आदेश से वह पलट गई। निर्णय वापस लेने की स्थिति में प्राध्यापक संघ 14 अक्टूबर 2022 को संघ कोर्ट चला गया। जहां 20 अगस्त 2013 को संघ के पक्ष में निर्णय देते हुए हाईकोर्ट ने सरकार को एजीपी देने के आदेश दिए। लेकिन लेकिन सरकार निर्णय के खिलाफ डबल बेंच में चली गई। बाद में एसीएस केसी गुप्ता ने भी संघ पर केस वापस लेने का दबाव बनाया। लेकिन संघ ने केस वापस नहीं लिया। वर्तमान में ऐजीपी को लेकर सुनवाई हाईकोर्ट में चल रही है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने यह दिया आदेश
छत्तीसगढ़ शासन उच्च शिक्षा विभाग के अवर सचिव एआर खान ने जो आदेश दिया है उसमें उल्लेख है कि छत्तीसगढ़ शैक्षणिक सेवा (महाविद्यालयीन शाखा राजपत्रित) भर्ती नियम 2019 के नियम 4 एवं 5 में ऐसे प्राध्यापकों जिनकी पदोन्नति पूर्व के भर्ती 33 नियम के अनुसार की गई है, उन्हें भर्ती प्र नियम 2019 के प्रकाशन एवं प्रभावशील तिथि 16 जनवरी 2019 से उक्त भर्ती नियम में उल्लेखित प्रावधान अनुसार वेतन 10 हजार एजीपी प्रदान किए जाने के अभिमत की स्वीकृति प्रदान की गई है।
इनका कहना है...
मध्यप्रदेश अब इकलौता राज्य है जहां के प्रोफेसरों का एजीपी नहीं बढ़ाया गया है। उच्च शिक्षा विभाग हमारे साथ दोहरी नीति अपना रहा है। पहले हमारे पक्ष में आदेश दिया फिर बाद में वापस ले लिया। आज मध्यप्रदेश के प्रोफेसर भारत में कहीं भी डायरेक्टर और कुलपति पद के लिए आवेदन नहीं कर सकते। जब तक एजीपी नहीं बढ़ाया जाता हमारी लड़ाई सरकार के खिलाफ जारी रहेगी।
कैलाश त्यागी,
प्रांतीय शासकीय महाविद्यालयीन प्राध्यापक संघ